शिक्षा विभाग में ‘कुर्सी का मोह’: समग्र शिक्षा अभियान में सहायक संचालक का अडियल रवैया, प्रशासन चुप

रायपुर, 24 सितंबर 2025* – छत्तीसगढ़ के समग्र शिक्षा अभियान में एक गंभीर प्रशासनिक विवाद सामने आया है। राज्य के शिक्षा विभाग की एक सहायक संचालक, जिनके बारे में विभाग में ‘सुपर एमडी’ के तौर पर चर्चा हो रही है, ने अपने पद का प्रभार सौंपने से साफ इनकार कर दिया है। यह घटनाक्रम विभाग में तूल पकड़ चुका है, और इसमें प्रशासनिक कार्यक्षमता के प्रभावित होने का खतरा भी मंडरा रहा है                                                                                                                                                  सहायक संचालक का ‘कुर्सी मोह’*
छत्तीसगढ़ के समग्र शिक्षा अभियान में कार्यरत सहायक संचालक, जिनका नाम अभी तक गोपनीय रखा गया है, ने शाखा बदलने का आदेश मिलने के बाद भी अपने पुराने प्रभार को छोड़ने से मना कर दिया है। उनके इस अडियल रवैये ने पूरे विभाग में हलचल मचा दी है।
* *संजीव कुमार झा की चुप्पी*
समग्र शिक्षा के राज्य परियोजना निदेशक और 2011 बैच के आईएएस अधिकारी *संजीव कुमार झा* ने भी इस मामले पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी है, जो यह दर्शाता है कि उच्चतम स्तर पर भी इस स्थिति से निपटने में कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे।
* *‘सुपर एमडी’ के प्रभाव का डर*
सूत्रों के अनुसार, सहायक संचालक ने खुद को शिक्षा सचिव और समग्र शिक्षा के MD से भी बड़ा मानने का दावा किया है। उनके इसी प्रभावशाली रवैये से न केवल प्रशासन बल्कि समग्र शिक्षा अभियान की कार्यप्रणाली भी प्रभावित हो रही है।

*समग्र शिक्षा अभियान पर असर*

समग्र शिक्षा, जिसे प्री-स्कूल से लेकर कक्षा 12 तक शिक्षा को एकीकृत करने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने लागू किया है, इस विवाद से गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है। यह योजना राज्यभर के स्कूलों में गुणवत्ता सुधार, शिक्षक नियुक्ति, पाठ्यपुस्तक वितरण और अन्य आवश्यक सुधारों के लिए महत्वपूर्ण है। सहायक संचालक का प्रभार न सौंपना, इन कार्यों को समय पर पूरा करने में रुकावट डाल सकता है, जिससे राज्यभर के शिक्षा कार्यों में देरी हो सकती है।

### *तबादला घमासान*

अप्रैल 2025 में राज्य सरकार ने 41 IAS अधिकारियों के बड़े पैमाने पर तबादले किए थे, जिनमें समग्र शिक्षा के कई बड़े नाम भी शामिल थे। इस दौरान *संजीव कुमार झा* को समग्र शिक्षा के स्टेट प्रोजेक्ट डायरेक्टर के साथ-साथ *सिविल एविएशन* और *टेक्स्टबुक कॉर्पोरेशन* के MD के पद पर भी जिम्मेदारी दी गई थी। बावजूद इसके, सहायक संचालक का इस तरह से पद की अवहेलना करना, तबादला प्रक्रिया और प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।

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