नदियों को जोड़कर बाढ़ से लड़ने की तैयारी, बिहार में लिंक योजनाओं को मिलेगी रफ्तार

पटना : बिहार में बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई विस्तार और जल प्रबंधन को नई दिशा देने की तैयारी तेज हो गई है। कोसी-मेची लिंक और बागमती-बेलवाधार-बूढ़ी गंडक लिंक योजना के बाद अब राज्य में करीब एक दर्जन से अधिक नदी जोड़ परियोजनाओं पर काम शुरू होने वाला है। इनमें गंडक-छाड़ी-दाहा-घाघरा लिंक, गंडक-माही-गंगा लिंक, त्रिशुला-बलान लिंक और फल्गु-पैमार लिंक जैसी महत्वाकांक्षी योजनाएं शामिल हैं।

इन सभी योजनाओं का मुख्य उद्देश्य नदियों के जल का संतुलित उपयोग कर बाढ़ के खतरे को कम करना, सिंचाई सुविधाओं का विस्तार करना और भूजल स्तर को बेहतर बनाना है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई मौकों पर नदी जोड़ योजनाओं को प्राथमिकता के आधार पर आगे बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। उनके निर्देश पर जल संसाधन विभाग के अभियंताओं की टीम तकनीकी और प्रशासनिक स्तर पर तेजी से काम कर रही है।

हाल ही में कोसी-मेची लिंक परियोजना का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है, जबकि बागमती-बेलवाधार-बूढ़ी गंडक लिंक योजना का काम लगभग पूरा हो गया है। नदी जोड़ योजनाओं के तहत नदियों को आपस में जोड़ने से बाढ़ के समय अतिरिक्त पानी का बेहतर बंटवारा होगा। इससे एक ओर जहां बाढ़ से सुरक्षा मिलेगी, वहीं दूसरी ओर सिंचाई क्षमता में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी। इसका सीधा फायदा राज्य के लगभग आधे हिस्से के किसानों को मिलने की संभावना है, जिससे फसल उत्पादन में भी इजाफा होगा।

बागमती-बेलवाधार-बूढ़ी गंडक लिंक योजना से किसानों को राहत
बागमती-बेलवाधार-बूढ़ी गंडक लिंक योजना पर करीब 130.88 करोड़ रुपये की लागत आई है। इस परियोजना से शिवहर, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी और पूर्वी चंपारण जिले के किसानों को सीधा लाभ मिलेगा। योजना के तहत बागमती धार (बेलवा–मीनापुर लिंक चैनल) को पुनर्जीवित किया गया है। चैनल के दोनों ओर तटबंध का निर्माण कर बेलवा स्थित हेड रेगुलेटर के माध्यम से बागमती नदी का पानी बूढ़ी गंडक नदी में पहुंचाया जाएगा।

इस परियोजना के माध्यम से लगभग 1.43 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में अतिरिक्त सिंचाई क्षमता सृजित करने का लक्ष्य रखा गया है। इससे न केवल खेती को संजीवनी मिलेगी, बल्कि बाढ़ और सूखे दोनों से निपटने में राज्य को दीर्घकालिक लाभ मिलेगा।

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