सरकार का बड़ा फैसला: अब नहीं देना होगा होटल-रेस्त्रां के बिल में सर्विस चार्ज

नई दिल्ली: अगर आप भी होटल-रेस्त्रां में खाना कहते है तो यह खबर आपके लिए है, दरअसल देशभर में किसी भी रेस्त्रां में खाने-पीने के बिल के साथ अगर ग्राहक से सर्विस चार्ज मांगा जाता है तो यह ग्राहक की मर्ज़ी पर है कि वह सर्विस चार्ज अदा करे या नहीं। रेस्त्रां मालिक ग्राहक की मर्ज़ी के बिना सर्विस चार्ज लेता है, तो वह गैरकानूनी है। ग्राहक सर्विस चार्ज देने के लिए बाध्य नहीं है। अब ग्राहक रेस्त्रां में सर्विस चार्ज देने के लिए साफ इनकार कर सकता है। सरकार ने 2 जून को बड़ी बैठक बुलाई है इस बैठक में होटल, रेस्त्रां से जुड़े संगठन शामिल होंगे। इसके अलावा बैठक में Zomato, Swiggy, Delhivery, Zepto, Ola, Uber जैसे प्रोवाइडर्स को भी बुलाया गया है।

2 जून को होगी बड़ी बैठक
इस बैठक की अध्यक्षता उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित सिंह करेंगे। बैठक में NRAI- नेशनल रेस्त्रां एसोसिएशन ऑफ इंडिया को भी बुलाया गया है। इस बैठक में कई बड़े मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। दरअसल, कस्टमर हेल्पलाइन पर लगातार मिल रही शिकायताओं के बाद सरकार ने ये कदम उठाया है। ज़ी बिजनेस ने पहले ही बताया था कि सरकार सभी तरह की शिकायतों को कैटेगरी में बांट रही है।

अनिवार्य नहीं है सर्विस चार्ज
भारत सरकार के उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने गाइडलाइंस जारी कर रखी है कि खाने-पीने के बिल में लेवी या सर्विस चार्ज वैध नहीं है। इस तरह का चार्ज अनिवार्य नहीं है, बल्कि ये ग्राहक की इच्छा पर निर्भर है कि वह देना चाहे तो दे या न दे। ग्राहक जब परिवार के साथ खाने गए तो वह सर्विस चार्ज नहीं देना चाहता तो उन्हें मजबूर नहीं किया जा सकता। ऐसे करने वालों पर अनफेयर ट्रेड ऑफ प्रैक्टिस के तहत कार्रवाई भी की जा सकती है।

क्या हैं सर्विस चार्ज की गाइडलाइंस
सर्विस चार्ज को लेकर भारत सरकार की 21 अप्रैल 2017 को जारी गाइडलाइंस में कहा गया था कि ये बात नोटिस में आ रही है कि कुछ होटल और रेस्त्रां ग्राहक की सहमति के बिना टिप या सर्विस चार्ज ले रहे हैं।

कई बार कंज्यूमर बिल में लगे सर्विस चार्ज देने के बाद भी वेटर को अलग से ये सोचकर टिप देते हैं कि बिल में लगने वाला चार्ज टैक्स का पार्ट होगा। कई जगह होटल और रेस्त्रां में ये भी लिखा होता है कि अगर कंज्यूमर अनिवार्य तौर पर सर्विस चार्ज देने के लिए सहमत न हों तो न आएं। खाने की जो कीमत लिखी होती है उसमें माना जाता है कि खाने की कीमत के साथ-साथ सर्विस जुड़ा हुआ है। अनफेयर ट्रेड ऑफ प्रैक्टिस में कंज्यूमर उपभोक्ता अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है।

जब ग्राहक मैन्यू देखता है तो उसमें खाने के आइटम की कीमत और टैक्स लिखा होता है और इसके लिए तैयार होने पर ही कंज्यूमर ऑर्डर करता है, लेकिन, इसके अलावा ग्राहक की सहमति के बिना लिया जाने वाला कोई भी चार्ज अनफेयर ट्रेड ऑफ प्रैक्टिस है। टिप कंज्यूमर के अधिकार में है। ऐसे में बिल में साफ लिखा होना चाहिए कि सर्विस चार्ज उपभोक्ता की मर्जी पर है और सर्विस चार्ज का कॉलम खाली रखा जा सकता है कि कंज्यूमर उसमें खुद पेमेंट से पहले अमाउंट भर ले।

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