राहुल का पीएम पर हमला, BJP की विचारधारा में भीतर तक समायी है हिंसा, बस लोगों को धमकाना जानती है…

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी शुक्रवार को केरल के वायनाड पहुंचे. यहां उन्होंने मनांथावडी में एक किसान बैंक के भवन का उद्घाटन किया. सुल्तान बाथेरी में यूडीएफ बहुजन संगमम में भी शामिल हुए.

इस दौरान उन्होंने अपने संसदीय कार्यालय में 24 जून को हुई तोड़ फोड़ का जिक्र करते हुए कहा कि बीजेपी और सीपीआई (एम) हिंसा में विश्वास रखते हैं. उनकी विचारधारा में हिंसा भीतर तक समायी हुई है. वह ऐसा सोचते हैं कि हिंसा करके, धमकी देकर लोगों का व्यवहार बदलना चाहती है.

उन्होंने कहा कि जिस तरह से पीएम नरेंद्र मोदी सोचते हैं कि पांच दिन तक ईडी के सामने पेश कराकर वह मुझे डरा देंगे लेकिन यह उनकी गलतफहमी है. उसी तरह सीपीआई (एम) यह सोचती है कि वह मेरा ऑफिस तोड़कर मेरा मुझे डरा देगी.

बच्चे हैं सीपीआई(एम) के लोग
राहुल गांधी ने कहा कि भले ही यह कार्यालय मेरा है लेकिन मुझसे पहले यह वायनाड के लोगों का कार्यालय है. वहां जो हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण है. हिंसा से कभी समस्या का समाधान नहीं होता. ऐसा करने वाले लोगों ने गैर-जिम्मेदाराना तरीका अपनाया.

उन्होंने एसएफआई या सीपीआई (एम) का जिक्र करते हुए कहा कि मेरे मन में उनके लिए कोई गुस्सा या दुश्मनी नहीं है. वे बच्चे हैं लेकिन उन्होंने जो किया, वे उसके परिणाम को नहीं समझते. वह अपने निर्वाचन क्षेत्र के तीन दिवसीय दौरे पर आए हैं.

पीएम-आरएसएस ने माहौल बिगाड़ दिया
नूपुर शर्मा को लेकर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का हवाला देते हुए राहुल गांधी ने कहा कि नूपुर शर्मा की टिप्पणी से देश में जो माहौल बना हुआ है, दरअसल वह उन्होंने नहीं बल्कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी और आरएसएस ने बनाया है.

मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि उदयपुर में कन्हैया लाल की हत्या एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है, जिसके लिए नूपुर शर्मा का बयान ही जिम्मेदार है. नूपुर शर्मा को फटकार लगाते हुए कहा कि आप एक पार्टी की प्रवक्ता हैं इसलिए सत्ता आपके सिर पर चढ़ गई है.

बफर जोन में रिहायशी इलाके नहीं चाहिए
राहुल गांधी ने इको सेंसेटिव जोन का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा हमें ऐसा बफर जोन नहीं चाहिए, जिसमें रिहायशी इलाके शामिल हों. उन्होंने कहा कि पिछले साल जब वायनाड वन्यजीव अभ्यारण के आस-पास इको सेंसेटिव जोन की सीमांकन किया जा रहा था, उस समय मैंने पर्यावरण मंत्रालय से स्थानीय समुदायों की चिंताओं को दूर करने के लिए आग्रह किया था. मैंने सीएम से कहा भी था कि इको सेंसेटिव जोन को कम करने के लिए मंत्रालय से संपर्क कर सकते हैं लेकिन एक महीने बाद भी केरल सरकार ने अभी कोई कदम नहीं उठाया.

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