रायपुर. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विश्व वानिकी दिवस के अवसर पर राज्य के सभी 33 जिलों के 42 स्थानों में मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना का शुभारंभ किया. यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में वाणिज्यिक वृक्षारोपण को बढ़ावा देकर किसानों की आय में वृद्धि करने के लिए शुरू की गई है. सीएम बघेल ने विधानसभा परिसर स्थित अपने कार्यालय कक्ष से योजना का ऑनलाइन शुभारंभ कर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि, यह योजना छत्तीसगढ़ में वनों के संरक्षण-संवर्धन तथा हरियाली के प्रसार के लिए एक और महत्वपूर्ण योजना साबित होगी. कार्यक्रम की अध्यक्षता वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री मोहम्मद अकबर ने की.
मुख्यमंत्री बघेल ने इस मौके पर वन संसाधन अधिकारों को लोगों तक सुगमता से पहुंचाने के लिए मोबाइल आधारित एफआरए टूल का लोकार्पण किया और वनोपज आधारित अर्थव्यवस्था को गति देने तथा व्यापारियों की सुविधा के लिए छत्तीसगढ़ में नेशनल ट्रांजिट पास सिस्टम का शुभारंभ किया. साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शहीद महेन्द्र कर्मा सामाजिक सुरक्षा योजना के अंतर्गत 1458 हितग्राहियों के खाते में कुल 22 करोड़ रुपए की राशि का ऑनलाइन अंतरण किया. इस अवसर पर कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे, खाद्य मंत्री अमरजीत भगत, मुख्यमंत्री के सलाहकार प्रदीप शर्मा, संसदीय सचिव शिशुपाल सोरी, चन्द्रदेव प्रसाद राय, विधायक उत्तरी गनपत जांगड़े, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, वन एवं जलवायु विभाग के प्रमुख सचिव मनोज कुमार पिंगुआ, प्रधान मुख्य वन संरक्षक और वन बल प्रमुख संजय शुक्ला भी उपस्थित थे.
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि, ‘मुख्यमंत्री वृक्ष सम्पदा योजना’ वाणिज्यिक वृक्षारोपण करने वाले हितग्राहियों के लिए आर्थिक दृष्टि से, पर्यावरण, सॉइल हेल्थ की दृष्टि से महत्वपूर्ण योजना साबित होगी. उन्होंने कहा कि, यह प्रसन्नता का विषय है कि बस्तर और सरगुजा के लोगों ने जहां प्रदेश में सर्वाधिक वन है. वृक्षारोपण की इस योजना में गहरी रूचि दिखाई है. मैदानी इलाके के दुर्ग और रायपुर संभाग में हितग्राहियों ने कम रूचि दिखाई है, जबकि यहां वृक्षों की ज्यादा जरूरत है. मुख्यमंत्री ने वन विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया कि दुर्ग और रायपुर संभाग में इस योजना को व्यापक प्रचार-प्रसार कर योजना से होने वाले लाभों की जानकारी लोगों को दी जाए ताकि इस क्षेत्र में भी वृक्षारोपण को बढ़ावा मिले.
उन्होंने कहा कि, छत्तीसगढ़ के जंगल और यहां की जैव विविधता छत्तीसगढ़ की पहचान है. हमारी कला, संस्कृति, परम्पराएं, दर्शन, चिंतन, आध्यात्म, इतिहास सब कुछ हमारे जंगलों से जुड़ा है. छत्तीसगढ़ के वन पूरे देश की धरोहर है. इन वनों से पूरे देश का पर्यावरण जुड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि, हमारे जंगल बचे रहे, हमारा पर्यावरण बचा रहे, जंगल से जुड़ी हमारी गौरवशाली संस्कृति बची रहे और खूब फले-फूले इस दिशा में बीते चार वर्षों के दौरान हमारी सरकार ने लगातार काम किया है.











