Chaitra Navratri 2023 : चैत्र नवरात्रि में आज महा अष्टमी और नवमी पर बन रहे 4 दुर्लभ योग,जानें कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

मां दुर्गा की विशेष आराधना के दिन चल रहे हैं. नवरात्रि (Navratri 2023) के नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है. महानवमी तिथि (Maha Navami) के दिन हवन और कन्‍या पूजन (Kanya Pujan) के बाद व्रत का पारण किया जाता है. कुछ लोग महाअष्‍टमी (Maha Ashtami) के दिन कन्‍या पूजन और पारण करते है

नवरात्रि में अष्टमी तिथि 29 मार्च को पड़ रही है. ये 28 मार्च को शाम 07 बजकर 02 मिनट से शुरू होगी और 29 मार्च को रात 09 बजकर 07 मिनट पर समाप्त हो जाएगी इसके बाद नवमी तिथि शुरू हो जाएगी. महानवमी 29 मार्च को रात 09 बजकर 07 से 30 मार्च को रात 11 बजकर 30 मिनट तक रहेगी. नवमी का कन्‍या पूजन 30 मार्च को किया जाएगा.

 

महाअष्‍टमी कन्‍या पूजन का शुभ मुहूर्त (Maha Ashtami Shubh Muhurat)

ज्‍योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र के मुताबिक 28 मार्च को रात 11 बजकर 36 मिनट पर शोभन योग शुरू हो रहा है जो 29 मार्च को रात्रि 12 बजकर 13 मिनट तक रहेगा. यानी 29 मार्च को 12:13 मिनट तक आप कभी भी कन्‍या पूजन कर सकते हैं. इस मुहूर्त में कन्‍या पूजन अति शुभदायी होगा. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 42 मिनट से 05 बजकर 29 मिनट तक रहेगा।

 

ऐसे करें पूजा

 

1. अष्टमी पूजन का नवरात्रि में बहुत महत्व है. इस दिन शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखकर ही पूजा करें. मुहूर्त बीतने के बाद पूजा का महत्व नहीं रह जाता है.

 

2. अष्टमी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर पूजा करनी चाहिए. इस दिन देर से नहीं सोना चाहिए. अगर आपने व्रत नहीं भी रखा है तो भी उठकर स्नान करें और पूजा जरूर करें।

 

अष्टमी पर पूजा के बाद दिन में नहीं सोना चाहिए. ऐसा करने से साधक को पूजा का फल प्राप्त नहीं होता है।

 

दुर्गा अष्टमी 2023 शुभ मुहूर्त(Durga Ashtami 2023 Muhurat)

शोभन योग- 28 मार्च को रात 11 बजकर 36 मिनट से लेकर दोपहर 02 बजकर 22 मिनट तक

रवि योग- 29 मार्च रात 8 बजकर 7 मिनट से 30 मार्च को सुबह 6 बजकर 14 मिनट तक

दुर्गा अष्टमी पूजन विधि (Durga Ashtami 2023 Puja Vidhi)

महा अष्टमी के दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा की जाती है। इस दिन स्नान आदि करने के बाद साफ सूथरे वस्त्र धारण करके मां दुर्गा की षोडशोपचार पूजन करें। सबसे पहले मां का आवाहन करें। इसके लिए दोनों हाथों पांच फूल लेकर जोड़ लें और इस मंत्र को बोलें-

सर्व मंगला मंगलये शिव सर्वार्थ साधिक। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तु ते॥ ब्रह्मरूपे सदानंद परमानंद स्वरूपिणी। द्रुत सिद्धिप्रदे देवी नारायणी नमोस्तु ते॥

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