कोरबा। जिला कोरबा से निकलकर सक्ती की ओर जाने वाले नहर का तटबंध टूट गया। करतला विकासखण्ड के अंतर्गत आने वाले ग्राम पहाड़गांव के पास ही यह तट बंध टूटा है और इस घटना के चलते तीन ग्राम पंचायत के 500 एकड़ से अधिक खेतों में लगाई गई फसल तबाह हो गई। वही इलाके की कुछ सड़कें भी बह गई हैं।
दरअसल मंगलवार से ही नहर का पानी तटबंध को काटते हुए ऊपर बहने लगा था, जिसकी सूचना किसानों ने क्षेत्र के टाइम कीपर को दी, बावजूद इसके टाइम कीपर ने ध्यान नहीं दिया, जिसकी वजह से नहर का यह तटबंध टूट गया। इस घटना से किसानों की कई सौ एकड़ खेत में लगी फसल पानी की भेंट चढ़ गई है।
लापरवाही का लग रहा है आरोप
ग्राम पंचायत बुढ़ियापाली के सरपंच हेम सिंह ने इस मामले में आरोप लगाया कि जल संसाधन विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों की लापरवाही से यह घटना हुई है, नहर का तटबंध टूटने से सड़क दो हिस्सों में बंट गया है। इस घटना से ग्राम पंचायत पहाड़गंव, छुईहा, कर्रापाली, डिपरा पारा, उमरेली, भांठा पारा आदि गांव की 500 एकड़ से अधिक भूभाग में लगाई गई फसल बह गई है। नहर के पानी की तबाही के मंजर ने किसानों को चिंतित कर दिया है। सरपंच ने बताया कि 5 सितंबर मंगलवार से ही नहर के ऊपर से पानी बहने लगा था जिसकी सूचना ग्रामीणों ने क्षेत्र के टाइमकीपर को दी थी लेकिन लापरवाह टाइम कीपर ने इस सूचना को गंभीरता से नहीं लिया जिसके कारण नहर तटबंध टूटने का यह हादसा हुआ।
‘सरपंच की सूझबूझ से नहीं हुई जनहानि’
तटबंध के ऊपर से पानी बहता देख सरपंच संघ के अध्यक्ष हेम सिंह ने सूझबूझ का परिचय देते हुए नहर वाले रास्ते में पत्थर लगाया और वहीं बैठ गए, ताकि इस रास्ते से आने जाने वालों को रोका जा सके। इस दौरान हुआ भी यही, सरपंच को रास्ते में पत्थर के साथ बैठा देख लोग आगे बढ़ने के बजाय वहीं रुक गए, थोड़ी देर बाद ही नहर का तटबंध पानी के तेज बहाव को झेल न सका और वह भरभरा कर टूट गया।
गांव में मची अफरा-तफरी
नहर से निकले पानी ने तेज बहाव के साथ लगभग 500 एकड़ में लगाई गई धान की फसल को अपने आगोश में ले लिया। इस घटना से गांव में अफरा-तफरी मची है। सूचना पर प्रशासन के अधिकारी, इरिगेशन विभाग बिलासपुर के भी अधिकारी मौके पर पहुंचे। बताते चलें कि यह हसदेव बांगो परियोजना के मुख्य नहर का तटबंध है जिसके टूटने से इलाके की फसल तबाह हो गई है।
क्षमता से ज्यादा छोड़ा गया पानी
इस मामले में अधिकारी अब एक दूसरे पर जिम्मेदारी थोप रहे हैं। कोरबा जिले में जल संसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता वीपी वासनिक का कहना है कि इस नहर के संधारण और देखरेख की जिम्मेदारी जांजगीर नहर संभाग के अमले की है। हालांकि उन्होंने यह भी बताया कि नहर में क्षमता से भी अधिक पानी छोड़ा गया, जिसका असर तटबंध पर पड़ा और वह टूट गया। वहीं विभाग के कुछ लोग तो यह भी आरोप लगा रहे हैं कि इलाके के किसान पानी के लिए नहर के तट को खोद देते हैं। ऐसे में अगर ज्यादा पानी छोड़ा गया तो नहर का टूटना तय है। वही एक पक्ष का यह भी कहना है कि अगर नहर को काटा गया होगा तो मैदानी अमला क्या कर रहा था।
सड़क बह गई, तालाब को हुआ नुकसान
कोरबा जिले के करतला ब्लॉक के पहाड़ गांव इलाके में हुई इस घटना की सूचना मिलने पर इलाके के विधायक ननकी राम कंवर भी यहां पहुंचे। इस दौरान नहर से पानी के बहने का सिसिला लगातार जारी था। MLA कंवर ने मौके से ही कलेक्टर को फोन करके टूटे हुए तटबंध को दुरुस्त कराने और आवागमन को बहाल करने का निर्देश दिया। उन्होंने मौके पर मौजूद जल संसाधन विभाग के अमले को भी दिशानिर्देश भी दिया। बाद में नहर का पानी रोका गया और टूटे हुए तटबंध को दुरुस्त करने का कार्य शुरू किया गया।
विधायक ननकी राम यहां किसानों को हुए नुकसान का जायजा लेने के लिए उनके खेत की ओर भी गए। ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम छुईया की सड़क बह गई है, वहीं नगरदा रोड भी कट गया है। इसके अलावा गांव की तालाब में पानी भरकर बहने लगा। इससे तालाब में पाली गई मछलियां भी बह गईं। इसके चलते मछली पालन करने वाले ग्रामीणों को भी नुकसान हुआ है। विधायक ने किसानों को हुए नुकसान का मुआवजा देने की भी मांग की है।