नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में आज 152 साल पुराने राजद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान शीर्ष अदालत की प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने बड़ी पीठ को मामला सौंपने का फैसला टालने के केंद्र की मांग ठुकरा दी है। जिसके बाद बाद राजद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर अब सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच सुनवाई करेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने रजिस्टर्ड ऑफिस को चीफ जस्टिस के समक्ष कागजात पेश करने का निर्देश दिया ताकि पीठ के गठन के संबंध में निर्णय लिया जा सके। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय बेंच ने केदारनाथ फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि मामले की सुनवाई के लिए बड़ी बेंच की आवश्यकता है। 1962 के केदारनाथ सिंह बनाम बिहार राज्य के मामले में पांच जजों की बेंच ने राजद्रोह कानून को बरकरार रखा था तो क्या 3 जजों की छोटी बेंच फैसला पलट सकती है।