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इस मामले में ईडी ने दिल्ली के मंत्री कैलाश गहलोत से पांच घंटे पूछताछ की

नयी दिल्ली,  प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े धन शोधन मामले में शनिवार को दिल्ली सरकार में मंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के नेता कैलाश गहलोत से लगभग पांच घंटे पूछताछ की और उनका बयान दर्ज किया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

दिल्ली आबकारी नीति अब रद्द हो चुकी है।

नजफगढ़ से आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक गहलोत (49) मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार में परिवहन, गृह और कानून मंत्री हैं। ईडी ने इस मामले में केजरीवाल को गिरफ्तार किया है।

कैलाश गहलोत ने सुबह करीब साढ़े 11 बजे मध्य दिल्ली स्थित ईडी कार्यालय में प्रवेश किया और वह करीब साढ़े चार बजे कार्यालय से निकले।

मंत्री ने कहा कि उन्होंने जांच एजेंसी के सभी सवालों का जवाब दिया। गहलोत ने कहा कि वह जांच में सहयोग करते रहेंगे।

सूत्रों ने कहा कि गहलोत से नीति के निर्माण के संबंध में पूछताछ की गई, क्योंकि वह 2021-22 के लिए नई शराब नीति को तैयार करने और कार्यान्वयन के लिए गठित उस मंत्री समूह (जीओएम) का हिस्सा थे, जिसमें पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और पूर्व शहरी विकास मंत्री सत्येंद्र जैन भी शामिल थे।

गहलोत ने कहा कि उन्हें ईडी ने मामले में पूछताछ के लिए बुलाया था क्योंकि ‘‘संभवत: मैं जीओएम का हिस्सा था… पूछताछ नीति के सभी पहलुओं के बारे में थी और मैंने अपनी सर्वोत्तम जानकारी और याददाश्त के अनुसार उत्तर दिया।’’

मंत्री ने कहा कि यह उन्हें भेजा गया दूसरा समन है, क्योंकि वह पहली बार करीब एक महीने पहले पेश नहीं हो सके थे, क्योंकि दिल्ली विधानसभा का बजट सत्र चल रहा था।

ईडी ने आरोप लगाया है कि आबकारी नीति के तहत ‘साउथ ग्रुप’ ने शराब कारोबार के लाइसेंस के एवज में आप और उसके नेताओं को 100 करोड़ रुपये की रिश्वत दी।

एजेंसी ने अपने आरोप पत्र में गहलोत के नाम का उल्लेख किया है और मामले में पहले गिरफ्तार किए गए आप के संचार प्रभारी विजय नायर के संदर्भ में कहा है कि नायर गहलोत को आवंटित सरकारी बंगले में रहते थे। गहलोत दक्षिण पश्चिम दिल्ली के नजफगढ़ में रहते हैं।

किसी लोक सेवक द्वारा किसी अन्य को सरकारी आवास का उपयोग करने की अनुमति दिए जाने को आपराधिक विश्वासघात बताते हुए ईडी ने केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से इस मामले में कार्रवाई करने को कहा था।

कैलाश गहलोत ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने एजेंसी को बताया कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि क्या नायर उन्हें आवंटित बंगले में रहते थे।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं सिविल लाइंस स्थित अपने सरकारी बंगले में कभी नहीं रहा। विजय नायर वहां रह रहे थे या नहीं, मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है।’’

मंत्री ने यह भी कहा कि वह गोवा में हुए विधानसभा चुनाव में शामिल नहीं थे।

आरोप है कि कथित दिल्ली आबकारी नीति घोटाले का पैसा आप ने तटीय राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में खर्च किया था।

गहलोत ने कहा, ‘‘मुझे गोवा के बारे में कोई जानकारी नहीं है और मैं कभी भी चुनाव प्रचार का हिस्सा नहीं रहा और मुझे कोई जानकारी नहीं थी कि वहां का प्रभारी कौन था या क्या गतिविधियां हो रही थीं।’’

गहलोत ने कहा कि कोई ‘‘घोटाला’’ नहीं है और यह समय के साथ स्पष्ट हो जाएगा।

ईडी कार्यालय से बाहर निकलते समय उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘कोई घोटाला नहीं है…जैसे-जैसे समय गुजरेगा, हर कोई इस बारे में आश्वस्त हो जाएगा।’’

यह मामला 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति को तैयार करने और क्रियान्वित करने में कथित भ्रष्टाचार और धन शोधन से जुड़ा है।

दिल्ली सरकार की विवादित आबकारी नीति को बाद में रद्द कर दिया गया था।

दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने शराब नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। इसके बाद ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज किया।

इस मामले में आप नेता मनीष सिसोदिया और संजय सिंह को ईडी ने पहले गिरफ्तार किया था और वे न्यायिक हिरासत में हैं।

मुख्यमंत्री केजरीवाल को ईडी ने धनशोधन मामले में 21 मार्च को गिरफ्तार किया था और बृहस्पतिवार को एक अदालत ने उनकी ईडी हिरासत एक अप्रैल तक बढ़ा दी। 

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