खदान को बताया खेत, कलेक्टर ने कराई जांच

भोपाल
सतना जिले  खदान, गोदाम और पड़ती भूमि को धान का खेत बताकर धान पंजीयन कराया गया और व्यापारियों से लाकर धान को राज्य सरकार द्वारा बनाए गए धान उपार्जन केंद्र में बेच दिया गया। अब इस मामले में शिकायत के बाद कलेक्टर ने पूरे मामले की जांच कराई है। इस तरह की स्थिति विन्ध्य क्षेत्र के सतना, रीवा, सीधी, सिंगरौली जिलों में हर साल बनती है जिसमें व्यापारी फर्जी किसान के रूप में पंजीयन कराकर यूपी का धान लाकर बेचते हैं।

तीन दिन पहले सतना जिले के मझगवां राजस्व अनुविभाग अंतर्गत जैतवारा तहसील क्षेत्र में यह मामला सामने आया है। अब तक सामने आए तथ्यों के अनुसार भिटारी गांव के व्यापारी बसंत बंसल द्वारा 2004-05 में खदान के लिए स्वीकृत भूमि में से करीब ढाई हेक्टेयर भूमि को धान का खेत बताकर पंजीयन करा लिया जिसकी गिरदावरी रिपोर्ट भी पटवारी ने दे दी। इसके आधार पर संबंधित व्यक्ति ने धान उपार्जन केंद्र में धान बेचने के लिए पहुंचा दिया।

इतना ही नहीं बंसल के गोदाम और पड़ती भूमि के रकबे में भी धान की बोनी होने की बात कही गई है। इसकी शिकायत होने के बाद कलेक्टर ने तहसीलदार नितिन झोंड़ से पूरे मामले की जांच कराई है। खदान में धान का यह मामला  फर्जीवाड़े के रूप में चर्चा में है। हालांकि अब तक प्रशासन ने इस मामले में कोई कार्यवाही व्यापारी, पटवारी या किसी अन्य पर नहीं की है। इस जिले में यूपी का धान ताला, ललितपुर आदि गांवों में भी बेचे जाने की शिकायत हो चुकी है। ऐसी ही स्थिति रीवा जिले में भी सामने आई है।

19 जिलों में बढ़ाया था समय
धान खरीदी के लिए शासन ने 15 जनवरी तक का समय तय किया था लेकिन 19 जिलों में समय पर धान का उपार्जन नहीं हो सका। इस कारण कलेक्टरों ने अतिरिक्त समय की मांग शासन से की थी। इसके बाद शासन की ओर से पहले 16 जिलों और बाद में तीन अन्य जिलों को तीन दिन के लिए उपार्जन की अनुमति दी गई थी। आज इन सभी जिलों में प्रवृष्टि की कार्यवाही पूरी करना है।

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