भोपाल
परिवहन विभाग ने पुराने वाहनों के वीआईपी नंबर नए वाहन में लेने के लिए व्यवस्था शुरू कर दी है। इसके तहत अब तक प्रदेश में स्क्रेप पॉलिसी को लेकर कोई नियम नहीं आया है।
ऐसे में इस योजना का लाभ लेने के लिए वाहन मालिक को पुराने वाहन को अनिवार्य तौर पर स्क्रेप घोषित कराना होगा। साथ ही वाहन मालिक को 15 हजार रुपए की अधिकारिक तौर पर फीस जमा करनी होगी। जबकि, प्रदेश में वर्तमान में च्वाइस नंबर यानी पसंद का नंबर लेने के लिए मात्र 5 हजार रुपए जमा करने पड़ते हैं। ऐसे में नए वाहन में पुराना वीआईपी अथवा पुराना नंबर लेना लोगों को महंगा साबित होगा। भोपाल में हर महीने करीब 12 से 13 हजार दो पाहिया, 2 से 3 हजार चार पाहिया सहित 3000 से अधिक अन्य वाहन रजिस्टर्ड होते हैं। परिवहन विभाग ने 13 जनवरी को इस नई व्यवस्था को लेकर अधिसूचना जारी की है।
प्रदेश में मई, 2014 तक वीआईपी नंबर पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर मिलते थे। इसमें 01 से 09 तक 15 हजार, 10 से 100 तक 12 हजार, विशिष्ट नंबरों के लिए 10 हजार और शेष के लिए 2 हजार रुपए देने होते थे। इसके बाद आॅनलाइन नीलामी/बोली प्रक्रिया शुरू की गई, जो अब तक जारी है।
सात साल बाद किया बदलाव
परिवहन विभाग ने 13 जनवरी को इस नई व्यवस्था को लेकर अधिसूचना जारी की है। इसके अनुसार यदि आपके पुराने वाहन के लिए आपने वीआईपी पंजीयन नंबर लिया था और यही नंबर आप अपने नए वाहन के लिए लेना चाहते हैं, तो आपको परिवहन विभाग में पुराने नंबर के लिए दी गई पुरानी राशि या 15 हजार रुपए शुल्क, जो भी अधिक होगा भुगतान करना होगा। हालांकि ऐसे नंबर जो 25 हजार से एक लाख रुपए तक में नीलाम हुए होंगे, उनके लिए उतनी ही राशि चुकानी होगी।
पांच महीने तक करना होगा इंतजार
नई व्यवस्था के तहत यह भी तय किया गया है कि लगातार 10 बार आॅनलाइन बोली में आने के बाद नहीं बिकने वाले वीआइपी पंजीयन नंबर को ह्यपहले आओ-पहले पाओ’ के आधार पर दिया जाएगा। इसके लिए सात हजार रुपए वाहन मालिक को फीस चुकानी होगी। हर महीने की 1 से 7 तारीख और 15 से 21 तारीख को आॅनलाइन बोली लगती है। हर महीने दो बार बोली लगाई जाती है। ऐसे में यदि किसी वाहन को चाहिए, तो करीब पांच महीने का इंतजार करना होगा। दरअसल, अभी वाहन मालिक को 0001 के लिए एक लाख और 0002 से लेकर 0009 तक 50 हजार रुपए सहित अन्य वीआईपी नंबर लेने के लिए 25 हजार खर्च करना पड़ते हैं।