बर्खास्त महिला जज बनीं वकील : सीनियर के खिलाफ शिकायत के बाद कोर्ट में लड़ी अपनी लड़ाई, फिर से हासिल किया पद

बिलासपुर। सात साल तक चली लंबी कानूनी लड़ाई के बाद छत्तीसगढ़ की महिला जज आकांक्षा भारद्वाज को अपनी बर्खास्तगी के खिलाफ कोर्ट केस में जीत मिली है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने विधि एवं विधायी विभाग की अपील को खारिज करते हुए आकांक्षा को महासमुंद में सिविल जज के पद पर बहाल करने का आदेश दिया है।

बता दें कि, बिलासपुर के सरकंडा क्षेत्र की रहने वाली आकांक्षा भारद्वाज का चयन 2012-13 में आयोजित परीक्षा के माध्यम से सिविल जज के पद पर हुआ था। 12 दिसंबर 2013 को उनकी नियुक्ति दो साल के प्रोबेशन पीरियड के तहत हुई थी। प्रारंभिक प्रशिक्षण के बाद उन्हें अगस्त 2014 में अंबिकापुर में प्रथम सिविल जज वर्ग-2 के पद पर स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया।

बर्खास्त की वजह

अपने कार्यकाल के दौरान आकांक्षा को अपने वरिष्ठ मजिस्ट्रेट से अनुचित व्यवहार का सामना करना पड़ा। हालांकि, अपनी हालिया नियुक्ति से उपजी असुविधा के कारण उन्होंने शिकायत दर्ज नहीं करने का फैसला किया। स्थिति तब और बिगड़ गई जब 2017 में स्थायी समिति की सिफारिश के बाद उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। वहीं आकांक्षा ने बर्खास्तगी के खिलाफ अपने बचाव में याचिका दायर की। मई 2024 में एकल पीठ ने बर्खास्तगी के आदेश को पलटते हुए उनके पक्ष में फैसला सुनाया। इसके बाद विधायी विभाग ने इस फैसले को खंडपीठ में चुनौती दी, लेकिन विभाग की अपील भी खारिज कर दी गई।

डिवीजन बेंच ने स्पष्ट किया कि सिंगल बेंच का निर्णय सही था और आकांक्षा भारद्वाज की बर्खास्तगी अन्यायपूर्ण थी। इसके बाद हाईकोर्ट ने उन्हें महासमुंद में सिविल जज के पद पर बहाल करने का आदेश जारी किया।

आकांक्षा भारद्वाज ने अपने मामले में खुद ही की पैरवी

वहीं इस पूरे मामले की खास पहलू यह है कि आकांक्षा भारद्वाज ने अपने मामले में खुद ही पैरवी की। उनकी हिम्मत और न्याय में अटूट विश्वास ने उन्हें इस जटिल लड़ाई में जीत हासिल करने में सक्षम बनाया। इस फैसले ने न्यायिक व्यवस्था में महिलाओं के अधिकारों को मजबूत किया है और न्याय में भरोसा बढ़ाया है।

Share this news:

Leave a Reply

Your email address will not be published.