किसान विरोधी मोदी सरकार के चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत सेंट्रल एक्साइज से किसानों को भारी नुकसान..
सेंट्रल पूल में लिमिट लगाना, उसना, अरवा का अड़ंगा, टूट की सीमा में कटौती, क्षतिग्रस्त अनाज और नमी की तय सीमा में कटौती अनुचित
रायपुर/छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा कि मोदी सरकार के हर निर्णय किसान विरोधी रहा है। मोदी सरकार देश की पहली और इकलौती किसान विरोधी सरकार है जो राज्य में अतिरिक्त उपार्जित धान और चावल को केंद्रीय पूल में खरीदी में अड़ंगे लगाती है। 2014 से पहले अतिरिक्त उपार्जित धान और चावल को केंद्रीय पूल में खरीदी से रोकने का कोई प्रावधान नहीं था। मोदी सरकार आने के बाद कभी उसना, अरवा की बाध्यता तो कभी अधिकतम खरीदी की लिमिट लगाई गई। यही नहीं भूपेश सरकार द्वारा अपने संसाधनों से किसानों को “राजीव गांधी किसान न्याय योजना” के तहत 9 हज़ार और 10 हज़ार रुपए प्रति एकड़ की दर से इनपुट सब्सिडी पर भी भाजपा नेताओं को आपत्ति है।
हाल ही में केंद्र की मोदी सरकार ने चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत का भारी-भरकम सेंट्रल एक्साइज लगा दिया जिसके चलते खुले बाजार में धान की कीमत एकदम से गिर गई। मोदी सरकार के किसान विरोधी निर्णय की भारी कीमत किसानों को चुकाना पड़ रहा है। एक्सपोर्टरों द्वारा सेंट्रल एक्साइज की पूरी राशि किसानों को दी जाने वाली कीमत में एडजस्ट किया जा रहा है। हाल ही में केंद्रीय पूल में जमा किए जाने वाले अनाज में टूट की सीमा में 5 प्रतिशत की कटौती, क्षतिपूर्ति अनाज की सीमा में एक प्रतिशत की कटौती और नमी की तय सीमा को भी एक प्रतिशत कम किया गया है जिसका नुकसान राज्य सरकार तथा सहकारी समितियों को होना तय है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि 2014 के घोषणा पत्र में मोदी सरकार का वादा था कि स्वामीनाथन कमेटी के सिफारिश के अनुरूप सी-2 फार्मूले पर 50 प्रतिशत लाभ जोड़कर एमएसपी का लाभ किसानों को मिलेगा, 8 साल बीत जाने के बावजूद मोदी सरकार उसपर मौन है। किसान आंदोलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने आंदोलनरत किसानों से वादा किया था कि एमएसपी की कानूनी गारंटी के लिए प्रावधान किया जाएगा लेकिन आज तक इस दिशा में कोई भी प्रयास नहीं हुए। मोदी सरकार के किसान विरोधी निर्णयों और लगातार वादाखिलाफी के चलते किसान भारी नुकसान उठाने मजबूर हैं।
मोदी सरकार द्वारा खाद सब्सिडी में लगातार हर बजट में औसतन 30 परसेंट कटौती की जा रही है। पोटाश की कीमत 1000 से बढ़ाकर सीधे 1700 कर दिया गया है। डीजल पर सेंट्रल एक्साइज 2014 में 3 रुपया 54 पैसा था, जो आज 28 रूपय प्रति लीटर से अधिक है। वादा था 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुना करने का हुआ उल्टे लागत 3 गुना हो गई है। स्वामीनाथन कमेटी की अनुशंसा के अनुसार एमएसपी और एमएसपी की कानूनी गारंटी किसानों का अधिकार है।