पूर्व सीएम ने सरकार पर लगाया 5000 करोड़ के राशन घोटाले का आरोप, केंद्रीय खाद्य मंत्री को पत्र लिखकर की जांच की मांग…

रायपुर। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने राज्य सरकार पर कोरोना काल में केंद्र सरकार से मिले राशन में घोटाला करते हुए 5000 करोड़ रुपए गबन करने का आरोप लगाया है. इस संबंध में डॉ. रमन सिंह ने केंद्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर मामले की जांच का आग्रह किया है.

पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने केंद्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल को लिखे पत्र में कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा कोविड महामारी के समय देश के 80 करोड़ गरीब परिवारों के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना अंतर्गत, प्रतिमाह प्रत्येक सदस्य को 5 किलो ग्राम अतिरिक्त चावल की व्यवस्था की गई, जो कि माह अप्रैल 2020 से वर्तमान तक नियमित रूप से प्रचलन में है.

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना अंतर्गत छत्तीसगढ़ में निवासरत गरीब परिवारों के लिए 11 लाख 53 हजार 380 क्विंटल प्रतिमाह चावल राज्य सरकार को आबंटित किया जा रहा है, इस प्रकार अप्रैल 2020 से दिसम्बर 2022 तक (कुल 33 माह) राज्य सरकार को 3 करोड़ 80 लाख 61 हजार 540 क्विंटल चावल का अतिरिक्त आबंटन किया गया है. वहीं राज्य सरकार ने अप्रैल 2020 से दिसम्बर 2022 तक गरीब परिवारों को इस योजना अंतर्गत मात्र 2 करोड़ 29 लाख 80 हजार 711 क्विंटल चावल वितरण किया गया है.

 

 

रमन सिंह ने कहा कि इससे स्पष्ट है कि केन्द्र सरकार द्वारा गरीब परिवारों के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना अंतर्गत भेजे गए अतिरिक्त चावल में से, राज्य सरकार ने 1 करोड़ 50 लाख 80 हजार 829 क्विंटल चावल का वितरण नहीं किया, जिसका वर्तमान में बाजार मूल्य 3400 प्रति क्विंटल के अनुसार लगभग 5 हजार 127 करोड़ रुपए है. इस तरह से राज्य सरकार द्वारा कुल 5 हजार 127 करोड़ रुपए की अनियमितता की गई है.

पूर्व मुख्यमंत्री ने बताया कि कुछ दिन पहले विकासखंड सहसपुर लोहारा, जिला कबीरधाम के शासकीय राशन दुकानदार एवं विक्रेता कल्याण संघ के प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात के दौरान अनियमितता की जानकारी दी थी. इस अनियमितता के उजागर होने पर राज्य सरकार का खाद्य विभाग पूरे प्रदेश के राशन दुकान संचालकों को नोटिस देकर चावल की मात्रा जमा करने के लिए दबाव बना रहा है, जिससे पूरे प्रदेश में राशन संचालक संघ में आक्रोश है. इसके प्रदेश की पीडीएस व्यवस्था चौपट होती जा रही है. अतः आग्रह है कि इस विषय की जांच उच्च स्तरीय टीम से कराई जाए, जिससे प्रदेश की जनता को उसका अधिकार मिल सके.

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