CG NEWS : जिला अस्पताल के डॉक्टरों की बड़ी लापरवाही, डिलीवरी के दौरान मासूम बच्ची का टूटा हाथ, 3 दिनों तक नहीं दी गई थी जानकारी

कोंडागांव। जिला अस्पताल में डिलीवरी के दौरान डॉक्टरों से बड़ी लापरवाही हुई है। इस लापरवाही से भी बड़ी बात है कि, मामले को परिजनों से 3 दिनों तक छुपाए रखा गया। दरअसल मंगलवार को जिला अस्पताल में सिजेरियन ऑपरेशन से एक डिलीवरी करवाया गया। इस डिलीवरी के दौरान नवजात बच्ची का हाथ टूट गया, लेकिन घटना को शुक्रवार की शाम तक परिजनों से छुपाए रखा गया। डिलीवरी करने वाली डॉ रीता गेडाम का कहना है कि कई बार जटिल प्रसव प्रक्रिया के दौरान इस तरह की घटना होने की संभावनाएं रहती है। बच्चे के हाथ टूटने के मामले में 3 दिन बाद भी परिजनों को जानकारी नहीं दिए जाने के सवाल पर डॉ रीता गेडाम गोल-मोल जवाब देती हुई नजर आई।

कोण्डागांव जिला अंतर्गत विकासखंड फरसगांव के बड़ेडोंगर थाना अंतर्गत कोरई गांव निवासी करण कोर्राम की पत्नी सुमित्रा कोर्राम का 20 जून को कोण्डागांव के जिला अस्पताल में सिजेरियन ऑपरेशन करके डिलीवरी करवाया गया है। इस डिलीवरी के दौरान सुमित्रा और करण की बेटी का हाथ डॉक्टरों की लापरवाही के चलते टूट गया है। इस संबंध में करण और सुमित्रा ने जानकारी दिया कि सोमवार को सुमित्रा को प्रसव पीड़ा हुआ, जिसके बाद उसे फरसगांव के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। गंभीरता को देखते हुए सुमित्रा को कोंडागांव के जिला अस्पताल रेफर किया गया। जिला अस्पताल में सुमित्रा का सिजेरियन ऑपरेशन कर डिलीवरी करवाया गया।

नवजात के माता-पिता का आरोप है कि डिलीवरी के दौरान डॉक्टरों की लापरवाही के कारण उनकी नवजात बच्ची का हाथ टूट गया, लेकिन इस बात को अस्पताल ने उनसे छुपाए रखा। बच्ची को तत्काल शिशु आईसीयू वार्ड में दाखिल करवा दिया गया था। तीन  दिनों तक मां का दूध तो दूर बच्ची को देखने भी नहीं दिया गया। परिजनों ने आरोप लगाया है कि सुमित्रा को जब डिलीवरी हुआ तो वह ऑपरेशन के चलते बेहोश थी। बेहोशी के कारण सुमित्रा ने अपनी नवजात बच्ची का चेहरा भी नहीं देखा। परिजनों को बिना कुछ बताएं नवजात बच्ची को जिला अस्पताल के शिशु एवं मातृत्व अस्पताल अंतर्गत संचालित शिशु आईसीयू वार्ड में दाखिल करवा दिया गया। यहां तक की 3 दिनों तक की नवजात बच्ची को परिजनों से दूर रखा गया और मां का दूध भी पिलाने नहीं दिया गया।

करण की मां फूलदाई ने जानकारी देते हुए बताया कि, 3 दिनों तक जब बच्चे को देखने या दूध पिलाने के लिए नहीं दिया गया तो वह शिशु आईसीयू वार्ड पहुंची। यहां उनकी नवजात बच्ची रो रही थी। फुलदाई से अपनी रोती पोती के आंसू देखी नहीं गई, जिसके बाद फुलदाई ने नवजात बच्ची को अपने बेटा-बहु से मिलवाया। जब नवजात बच्ची को सुमित्रा और करण से मिलाया गया तो उसके हाथ में पट्टी बंधा हुआ था। परिजनों ने जब जिला अस्पताल में ही बच्ची का एक्स-रे करवाया तब जाकर उन्हें उनकी बच्ची के हाथ के टूटने का जानकारी पता चला।

Share this news:

Leave a Reply

Your email address will not be published.