क्यों मनाते हैं रक्षाबंधन, कैसे हुई थी इस पर्व की शुरुआत? जानिए पौराणिक महत्व

Raksha Bandhan 2024: भारतीय संस्कृति में रक्षाबंधन का खास महत्व है. यह त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम को दर्शाता है. इस खास दिन सभी बहनें अपने भाईयों को कलाई पर राखी बांधती हैं. ऐसा कहा जाता है इस दिन सभी बहन उनकी लंबी  उम्र और स्वास्थ्य की कामना करती हैं. वहीं, सभी भाई अपनी बहनों की सुरक्षा की कामना करते हैं. रक्षाबंधन से जुड़ी कई दिलचस्प पौराणिक कथा और मान्यताएं हैं जो इस त्योहार को खास बनाती हैं.

इस साल रक्षाबंधन सोमवार यानी 19 अगस्त 2024 को मनाया जाएगा. रक्षाबंधन का त्योहार पारिवारिक प्रेम और एकता का प्रतीक है. आइए जानते हैं रक्षाबंधन क्यों मनाते और इससे जुड़ी  पौराणिक महत्व के बारे में.

भगवान विष्णु ने ली परीक्षा

स्कंद पुराण, पद्म पुराण और श्रीमद्भागवत पुराण के मुताबिक, भगवान विष्णु के असुरराज बलि बहुत बड़े भक्त थे. एक बार अपनी भक्ति की परीक्षा लेने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण किया. इसके उन्होंने असुरराज बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी.  बिना किसी हिचकिचाहट के असुरराज बलि ने यह स्वीकार कर लिया. भगवान विष्णु ने तीनों लोकों के अपने दो पगों में नाप लिया और तीसरा पग राजा बलि के सिर पर रखकर उन्हें पाताल लोक का राजा बना दिया. भगवान विष्णु से राजा बलि पाताल लोक में साथ रहने का वरदान मांगा.

मां लक्ष्मी ने मांगा वरदान

जब भगवान विष्णु वापस नहीं लौटे को माता लक्ष्मी दुखी हो गई.  भगवान विष्णु को वापस स्वर्ग ले जाने के लिए उन्होंने गरीब ब्राह्मणी का रूप धारण कर राजा बलि के पास पहुंची. इस बाद माता लक्ष्मी ने  राजा बलि को राखी बांध दी. राखी के बदले मां लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को वापस स्वर्ग ले जाने का वरदान मांगा. उसके बाद राजा बलि ने राखी के बंधन को निभाते हुए भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को वापस स्वर्ग भेज दिया. इसके बाद से हिंदू धर्म में रक्षाबंधन  का त्योहार मनाने लगे.

महाभारत से जुड़ी कथा

रक्षाबंधन का महाभारत काल से भी गहरा नाता है. कथा के मुताबिक, भगवान श्रीकृष्ण ने शिशुपाल का वध किया था तो द्रौपदी ने अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर बांधा था. इसके बदले भगवान श्रीकृष्ण ने उनके हर मुसीबत से बचाने का वचन दिया था.

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