इस्लामाबाद। पाकिस्तान के प्रमुख विपक्षी दल देश में किसी तरह का आपातकाल लगाने की अफवाहों के प्रसार के पीछे एक ‘व्यवस्थित और नियोजित अभियान’ देखते हैं। यह कुछ उसी तरह का है जैसा कि साल 1975 में तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की ओर से लागू किया गया था। इस अफवाह के पीछे इमरान खान की पार्टी पीटीआई का हाथ होने का संदेह है।
डॉन न्यूज की रिपोर्ट से यह जानकारी मिली। पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) को संदेह है कि वास्तविक मुद्दों और इसकी विफलता से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए इस तरह के ‘अभियान’ के पीछे सत्ताधारी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ का हाथ है। हालांकि, इस धारणा का सूचना और प्रसारण मंत्री फवाद चौधरी द्वारा स्पष्ट रूप से खंडन किया गया था, जिन्होंने इसे देश में प्रचलित ‘फर्जी समाचार संस्कृति’ का एक हिस्सा करार दिया है।
'धांधली के जरिए थोपी गई सरकार ने देश को बर्बाद कर दिया'
अफवाहों के बीच, संयुक्त विपक्ष के सदस्यों ने बुधवार को नेशनल असेंबली सचिवालय को एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया जिसमें 1973 के संविधान में प्रदान किए गए देश में संघीय संसदीय प्रणाली को बनाए रखने और मजबूत करने का संकल्प व्यक्त किया गया था। पीएमएल-एन के महासचिव अहसान इकबाल ने एक ट्वीट में कहा, ‘जब धांधली के जरिए थोपी गई सरकार ने देश को बर्बाद कर दिया है, तब इंदिरा गांधी जैसा आपातकाल लगाने और विभिन्न फॉमूर्लों के जरिए व्यवस्था में बदलाव की फुसफुसाहट सुनाई दे रही है।’
इकबाल 25 जून, 1975 को गांधी द्वारा भारत में आपातकाल लागू करने की बात कर रहे थे, जो 21 मार्च, 1977 तक लागू रहा। इस बीच पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग ने संपत्ति और देनदारियों का विवरण न देने पर सोमवार को सूचना मंत्री फवाद चौधरी और सिंध के मुख्यमंत्री सैयद मुराद अली शाह सहित लगभग 150 संघीय और प्रांतीय जनप्रतिनिधियों की सदस्यता अस्थायी रूप से निलंबित कर दी। पिछले साल, आयोग ने कम से कम 154 जनप्रतिनिधियों की सदस्यता निलंबित कर दी थी, लेकिन बाद में उन सभी ने संबंधित विवरण जमा कर दिया और फिर उनकी सदस्यता बहाल कर दी गई थी।