2008 अहमदाबाद ब्लास्ट केस : देश के इतिहास में पहली बार 38 दोषियों को फांसी और 11 को उम्र कैद की सजा का ऐलान

अहमदाबाद। अहमदाबाद में 26 जुलाई 2008 को हुए सीरियल ब्लास्ट मामले के दोषियों को शुक्रवार को सजा सुनाई गई। 38 दोषियों को फांसी और 11 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। 8 फरवरी को सिटी सिविल कोर्ट ने 78 में से 49 आरोपियों को UAPA (गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम) के तहत दोषी करार दिया था। लेकिन, इनमें से एक एक दोषी अयाज सैयद को जांच में मदद करने के आरोप में बरी किया जा चुका है। अन्य 29 भी सबूतों के अभाव में बरी हो चुके हैं।

70 मिनट में हुए थे 21 धमाके
26 जुलाई 2008, यही वह दिन था जब 70 मिनट के दौरान 21 बम धमाकों ने अहमदाबाद की रूह को हिलाकर रख दिया। शहर भर में हुए इन धमाकों में कम से कम 56 लोगों की जान गई, जबकि 200 लोग घायल हुए थी। धमाकों की जांच-पड़ताल कई साल चली और करीब 80 आरोपियों पर मुकदमा चला। पुलिस ने अहमदाबाद में 20 प्राथमिकी दर्ज की थी, जबकि सूरत में 15 अन्य प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जहां विभिन्न स्थानों से भी जिंदा बम बरामद किए गए थे।

नहीं फट पाए थे 29 बम
ब्लास्ट के बाद गुजरात की सूरत पुलिस ने 28 जुलाई और 31 जुलाई 2008 के बीच शहर के अलग-अलग इलाकों से 29 बम बरामद किए थे, जिनमें से 17 वराछा इलाके के और अन्य कतारगाम, महिधरपुरा और उमरा इलाके के थे। जांच में पता चला कि गलत सर्किट और डेटोनेटर की वजह से इन बमों में विस्फोट नहीं हो पाया था।

गोधरा कांड के जवाब में किए गए थे ब्लास्ट
ये ब्लास्ट आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (IM) और बैन किए गए स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) से जुड़े लोगों ने किए थे। विस्फोट से कुछ मिनट पहले, टेलीविजन चैनलों और मीडिया को एक ई-मेल मिला था, जिसे कथित तौर पर ‘इंडियन मुजाहिदीन’ ने धमाकों की चेतावनी दी थी। पुलिस का मानना था कि IM के आतंकियों ने 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के जवाब में ये धमाके किए। इस मामले के एक अन्य आरोपी यासिन भटकल पर पुलिस नए सिरे से केस चलाने की तैयारी में है।

 

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