गणेशजी की स्थापना और पूजा के लिए दिनभर में कुल 5 शुभ मुहूर्त…जानिए आसान स्टेप्स में पूजन विधि, मंत्र और आरती

रायपुर. 31 अगस्त को गणेश चतुर्थी पर गणेशजी की स्थापना और पूजा के लिए दिनभर में कुल 5 शुभ मुहूर्त रहेंगे। सुबह 11.20 बजे से दोपहर 01.20 बजे तक का समय सबसे अच्छा रहेगा, क्योंकि इस वक्त मध्याह्न काल रहेगा, जिसमें गणेश जी का जन्म हुआ था।

तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव और पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र कहते हैं कि वैसे तो दोपहर में ही गणेश जी की स्थापना और पूजा करनी चाहिए। समय नहीं मिल पाए तो किसी भी शुभ लग्न या चौघड़िया मुहूर्त में भी गणपति स्थापना की जा सकती है। वैसे भी इस बार गणेश चतुर्थी पर 300 साल बाद ग्रहों की शुभ स्थिति बन रही और लंबोदर योग भी है।

इतनी सारी चीजों से पूजन न कर पाएं तो इसके लिए छोटी पूजा विधि

1. चौकी पर स्वस्तिक बनाकर एक चुटकी चावल रखें।
2. उस पर मौली लपेटी हुई सुपारी रखें। इन सुपारी गणेश की पूजा करें।
3. इतना भी न हो पाए तो श्रद्धा से सिर्फ मोदक और दूर्वा चढ़ाकर प्रणाम करने से भी भगवान की कृपा मिलती है।

किसी वजह से गणेश स्थापना और पूजा न कर पाएं तो क्या कर सकते हैं…

पूरे गणेशोत्सव में हर दिन गणपति के सिर्फ तीन मंत्र का जाप करने से भी पुण्य मिलता है। सुबह नहाने के बाद गणेशजी के मंत्रों को पढ़कर प्रणाम कर के ऑफिस-दुकान या किसी भी काम के लिए निकलना चाहिए।
(डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव, केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, तिरूपति के मुताबिक)

गणपति पूजा से जुड़ी ध्यान रखने वाली बातें

1. गणेश जी की मूर्ति पर तुलसी और शंख से जल नहीं चढ़ाना चाहिए।
2. दूर्वा और मोदक के बिना पूजा अधूरी रहती है।
3. गणपति के पसंदीदा फूल: जाती, मल्लिका, कनेर, कमल, चम्पा, मौलश्री (बकुल), गेंदा, गुलाब
4. गणपति के पसंदीदा पत्ते: शमी, दूर्वा, धतूरा, कनेर, केला, बेर, मदार और बिल्व पत्र
5. पूजा में नीले और काले रंग के कपड़े न पहनें।
6. चमड़े की चीजें बाहर रखकर पूजा करें और भगवान को अकेले कभी न छोड़ें।
7. स्थापना के बाद मूर्ति को इधर-उधर न रखें, यानी हिलाएं नहीं।

इस बार गणेश चतुर्थी पर पांच राजयोग और 300 सालों बाद ग्रहों का दुर्लभ संयोग बन रहा है। वहीं, पूरे उत्सव के 10 दिनों के दौरान खरीदारी के 7 शुभ मुहूर्त भी रहेंगे। जिसमें आप इन्वेस्टमेंट से लेकर व्हीकल खरीदी तक कई शुभ काम कर सकेंगे।

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