हिजाब के चक्कर मे परीक्षा छोड़ने वाली छात्राओं को कर्नाटक सरकार ने दिया जोरदार झटका, किया ये ऐलान

बेंगलुरु। हिजाब पहनने की जिद न छोड़ना कर्नाटक की उन छात्राओं पर भारी पड़ गया है, जिन्होंने इस मांग को लेकर इम्तिहान नहीं दिए थे। कर्नाटक सरकार ने इन छात्राओं के लिए दोबारा इम्तिहान न कराने का फैसला किया है। कर्नाटक में तमाम मुस्लिम छात्राओं ने हिजाब पहनने की जिद जारी रखते हुए प्रैक्टिकल परीक्षा छोड़ दी थी। कर्नाटक के प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने अब कहा है कि इन छात्राओं के लिए दोबारा प्रैक्टिकल नहीं कराए जाएंगे। नागेश ने कहा कि इस बारे में किसी संभावना पर सरकार विचार नहीं करेगी। अगर कर्नाटक हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश के बाद भी छात्राओं ने हिजाब की जिद नहीं छोड़ी, तो आने वाले वक्त में उन्हें छूट देने पर कोई और छात्र किसी और बहाने से ऐसी छूट मांग सकता है।

Hijab

मंत्री ने कहा कि सरकार 8वीं, 9वीं औऱ 11वीं की स्कूल स्तर पर होने वाली परीक्षा में छात्रों के लिए प्रैक्टिकल या दूसरे विषय की परीक्षा दोबारा कराने पर विचार कर सकती है। उन्होंने कहा कि हम प्रतियोगी परीक्षा के नियमों से छेड़छाड़ नहीं कर सकते। ऐसा करने के नतीजे अलग होंगे। वहीं, राज्य के कानून मंत्री जेसी मधुस्वामी ने कहा कि हमने कहा था कि किसी को भी कोर्ट के आदेश की अवहेलना नहीं करनी चाहिए। कर्नाटक में बोर्ड परीक्षाएं 22 अप्रैल से शुरू होने जा रही हैं।

karnataka high court

कर्नाटक की बोर्ड परीक्षा में 70 अंक थ्योरी के और 30 अंक प्रैक्टिकल के होते हैं। जिन छात्रों ने हिजाब विवाद में इम्तिहान छोड़े, उन्हें अब सरकार के फैसले की वजह से 30 नंबर का सीधा नुकसान होगा। अब वे अगर हिजाब की जिद छोड़कर थ्योरी के पेपर देती हैं, तो 70 अंक में से ही उन्हें मार्क्स हासिल होंगे। बता दें कि कर्नाटक के उडुपी से हिजाब विवाद फरवरी में शुरु हुआ था। जब 6 छात्राओं ने हिजाब पहनकर कॉलेज आने देने की मांग की थी। उन्हें रोके जाने पर छात्राओं ने हाईकोर्ट का रुख किया था। हाईकोर्ट ने साफ कह दिया कि स्कूल-कॉलेज में हिजाब या कोई अन्य धार्मिक प्रतीक नहीं चलेगा। अब छात्राओं ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।

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